तुम चांद हो तो, मैं दाग बनना
चाहती हूं
तुम सुरज हो तो, मैं प्रकाश बनना
चाहती हूं
तुम धुप हो तो, मैं छांव बनना
चाहती हूं
तुम बारिश हो तो, मैं रेत बनना
चाहती हूं
तुम गित हो तो, मैं राग बनना
चाहती हूं
तुम नदी हो तो, मैं किनारा बनना
चाहती हूं
तुम सुबह हो तो, मैं शाम बनना
चाहती हूं
तुम रात हो तो, मैं भोर बनना
चाहती हूं
तुम राही हो तो, मैं रास्ता बनना
चाहती हूं
तुम सागर हो तो, मैं गहराई बनना
चाहती हूं
तुम जिस्म हो तो, मैं रूह बनना
चाहती हूं
तुम अंधकार हो तो, मैं उजाला बनना
चाहती हूं
तुम रोग हो तो, मैं दवा बनना
चाहती हूं
तुम बदनाम हो तो, मैं दाग बनना
चाहती हूं
तुम आग हो तो, मैं राख बनना
चाहती हूं
तुम पानी हो तो, मैं लहरें बनना
चाहती हूं
तुम साथ हो तो, मैं साथी बनना
चाहती हूं