पम्पोर में आज फिर कोई माँ अपना बच्चा खोई है
पम्पोर में आज किसी बच्चे ने अपने बाप का साया खोया है
पम्पोर में आज किसी सुहागन ने अपना सुहाग खोया हैं
पम्पोर में आज किसी बाप ने अपनी लाठी तोड़ी है
माँ के हिस्से क्या मिला,
उस मासूम से बच्चे के हिस्से क्या मिला,
उस सुहागन को क्या मिला,
उस बुढे बाप को क्या मिला
ये अनुभूति न हम बता सकते
ना आप ना ही हमारे देश के भर्स्ट नेता
ये हमें तब जान पड़ेगा, जब उस माँ की दबी हुई आवाज
पुरे गर्व से भरे हुए बोलेगी
बेटा मेरा मरा नही शहीद हुआ हैं
उस नन्हे से बच्चे के मुख से जब आवाज आएगी,
दुश्मनो से लड़ते हुए शहीद हुए है मेरे पापा
जब वो सुहागन बोलेगी मैं उस शहीद की पत्नी हूँ
जिसने मेरे सिन्दूर की परवाह किये बिना
हजारो बहनो की सिन्दूर उजड़ने से बचाया है
जब वो बाप बोलेगा बेटा मेरा माटी का कर्ज चुकाते हुए
शहीद हुआ है , गर्व है मुझे ऐसे बेटे पे
वो माँ भी अंदर अंदर बहुत टूटी होगी
वो बच्चा भी बाप को खो के बहुत रोया होगा
उस सुहागन की व्यथा क्या कहू शब्द समेट ना सकेंगे
उस बाप के दिल का हाल शायद ही कोई भांप सके
लेकिन एक शब्द शहीद ने सब को जीने के लिए बहुत कुछ दे गया
इस शहीद शब्द का कोई क्या मोल लगाएगा