सावन के मौसम में नवविवाहिता की मनोदशा का वर्णन ,,,,आनंद ले
बरसे सावन
हर्षित मन
प्रेम गीत गाओ कोई
पिय को बुलाओ कोई। पिय को बुलाओ कोई
चंचल नयन
विचिलित मन
मुझे समझायो कोई
पिय को बुलाओ कोई। पिय को बुलाओ कोई
बडी है अगन
सुलगता अब बदन
अगन तो बुझाओ कोई
पिय को बुलाओ कोई। पिय को बुलाओ कोई
मन मे उठे उमंग
आ जाये पिया भरे प्रेम रंग
छेडती है सखियाँ इन्हे समझाओ कोई
पिय को बुलाओ कोई। पिय को बुलाओ कोई
कू कू कर कोयल
विरह न बडाये अब
गाना है तो बस मिलन गीत गाओ कोई
पिय को बुलाओ कोई। पिय को बुलाओ कोई
कोई सखी कोई संग
रास न आये अब
जा कर मेरी व्यथा उनको सुनाओ कोई
पिय को बुलाओ कोई। पिय को बुलाओ कोई
गजब मजबूरी
सावन मे दूरी
छुप-छुप आये मजबूरी मिटाये कोई
पिय को बुलाओ कोई। पिय को बुलाओ कोई