कैसे कहूँ तू कैसी है
पहले ठंडी फिर
गर्म रेत जैसी है
ना जाने तू कैसी है |
कह दूँ शीतलहरी तुझे
या गर्म लू की गर्मी है
रात रानी की खुशबु जैसी
या नई आम्र मंजरी है
कैसे कहूँ तू कैसी है |
कह दूँ बून्द ओस तुझे
या नन्ही दुब की नरमी है
स्थल कमल का आग़ोश तू
या पानी की तस्वीर है
कैसे कहूँ तू कैसी है
कैसे कहूँ तू कैसी है |