रात तुमसे मिली जब ये मेरी नजर

रात तुमसे मिली जब 
ये मेरी नजर
रंग खाबो के अब तक
छुटे नही

पल दो पल का सही 
साथ अपना सनम
हाथ मे हाथ हो
फिर तो छुटे नही

आंखों की रंगीनियां
अब तुम्हारी हुई
है अमानत तेरी
प्रीत छुटे नही

कोई वादा नही
कोई कसम भी नही
एक दुआ है यही
साथ छुटे नही।


तारीख: 17.12.2017                                    विजयलक्ष्मी जांगिड़









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