शीशा

खूबसूरती  दिखाती हूँ 
मन  हो  या  तन 
लोगो  को  उनकी  तस्वीर  दिखती  हूँ 


दर्पण  कहो  या  शीशा
मन  मैं  बहलाती  हूँ 
लोगो  को  सच्चाई  दिखाती हूँ 

बचपन  से  लेकर  बुढ़ापे
की  कहानी  दिखाती  हूँ 


खूबसूरत  हो  या  बदसूरत
सभी चेहरे  को  दिखाती हूँ 

मुझमे  झाँक कर  ही  लोग  
अपनी  खूबसूरती  को  हैं सवारते 


सच्चाई  नजर  आती  है 
सच  और झूठ    की  परख  कराती हूँ 

लोगो  को  भाती  हूँ 


तारीख: 05.06.2017                                    अरुणा शुक्ला









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