है कितना मधुर स्पर्श तुम्हारा,
जीना चाहा जिसे युगों से,
ऐसा है परिवेश तुम्हारा,
है कितना मधुर स्पर्श तुम्हारा।।🌼🌸
लता तरू की कोमलता से,🍃🍃
छेकना चाहता हो जग सारा।
उष्ण उमसती सी तपन में,🔥🔥
ठंड पवन के जैसा प्यारा💧💧
है ऐसा मधुर स्पर्श तुम्हारा।
खुशबू केसर घाटी सी ही🍁
लाली रंग ओढ़ता न्यारा🥀
है ऐसा मधुर स्पर्श तुम्हारा।।
टिमटिम तारों सी चंचल ही✨✨
दूर खड़ा पैग़ाम छोड़ता🔭
आकांक्षाओं का बने सहारा🌃🌌
है ऐसा मधुर स्पर्श तुम्हारा।।
भाप निकलता ज्यों प्याली से,☕🍵
घुलता त्वरित स्वतंत्र अनिल से,💫💫
उसी सरीखा स्वीकार है तुममें👩❤️💋👩
हे....स्वच्छ हृदय की चंचल धारा।🌊🌊
है ऐसा मधुर स्पर्श तुम्हारा।।