तब तब तुम्हे कोई अपना सा याद आयेगा

"अभी तो बेशक तुम्हे मेरी याद नही आयेगी, 
अभी तो तुम्हारी हँसी खेल के दिन चल रहे है !!
लेकिन ये हंसी खेल के दिन,एकदिन गुजर जायेगें, 
तुम देखोगी कि तुम्हारे अपने ही कैसे बदल रहे है!!

तब कोई अपना सा था तुम याद करोगी !
या फिर कोई है अपना तुम याद करोगी!!

अभी तो जरूरत जो है जमाना साथ रहेगा 
और अभी तो जमाना नाम तुम्हारा करेगा !!
पर पड़ेगी जब भी जरूरत तुम्हे इसकी ;
तुम देखना जमाना तुमसे किनारा करेगा !!

तब तुम कोई है जो सहारा याद करोगी !
या फिर कोई हो जो तुम्हारा याद करोगी !!

जब कभी बारिश में खुद को तन्हा पाओगी ,
जब लगेगा ऐसा कि इस भीड़ में कोई नही है मेरा!!
आज ये वक्त है कि सब मजाक सा लग रहा है ;
कल समझोगी कितनी बड़ी बात थी कि मैं हूँ तेरा !!

जो तुम्हारी बात को खुदा की नात करता था !
तब सोचोगी था एक जो ऐसी बात करता था!!

जब तन्हा रास्तो पे अकेले सफर करोगी,
मंजिल मिल जाये तो भी कुछ कमीं सी रहेगी !!
आँखो में ख्वाब हो तो नींद पूरी सी हो ;
बिना मकसद के कहाँ ये जिंदगीं रहेगी !!

तुम रोकोगी पर आँखे  ख्वाब तो देंखेगीं !
तुम रहो ना रहो पर ये साथ हमेशा रहेंगीं !!

तुम्हारे दिल में कभी एक ख्वाब आता हो 
जो तुमको भाता हो जो कहा ना जाता हो !!
उस ख्वाब के चलते एक शख्स भी याद आता हो
जो उस ख्वाब को लेके कुछ अफसाने गाता हो !!

बस अपने दिल की आवाज सुनो तुम !
अपनी खुशियों का ही राज चुनो तुम!!

गर अँधेरा है तो फिर तुम्हे रौशनी चाहिए 
जिंदगीं सफर है तो फिर हमसफर चाहिए !!
यूँ तो कुछ लोग जिंदगीं तन्हा ही गुजारते है
पर वहाँ भी किसीकी यादो का बशर चाहिए!!

सफर तन्हा हो मगर खुद ना रहना !
जो भी कहना है तुम जरूर कहना !!

दिलबर के बिना तुम कितनी तन्हा हो सुनो !
जब कभी गम में रहो है कौन साथ तब कहो !!
ये जमाना उतना ही देता है कि जितना लेता है !
जमाना दीवानो सा नही जो सब कुछ लुटा देता है !!

जब जब खुद को गमों में घिरा पाओगी 
जब जब खुद को तुम कभी तन्हा पाओगी 
तब तब तुम्हे कोई अपना  सा याद आयेगा !
तब तब तुम्हे कोई अपना सा याद आयेगा !!

तब तब तुम्हे कोई अपना सा याद आयेगा.....


तारीख: 30.07.2017                                     देव मणि मिश्र









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