तटस्थ

लालिमा अब रंग पकङती, 
झुनझुन झुनझुन हुंकारें हैं 
रक्त उबलता, शौर्य मचलता
मैं अब तटस्थ नहीं रह सकता

चमक चांदनी, खङग वाहिनी
खनखन खनखन टंकारें हैं 
तनती भौंहें, भाल फङकता
मैं अब तटस्थ नहीं रह सकता

उठी हैं लहरें, तोङ किनारे
गुंजन गुंजन चित्कारें हैं
धरती कांपे, व्योम गरजता
मैं अब तटस्थ नहीं रह सकता

भीतर मचले, यौवन तरुणाई 
किंचन किंचन मन बहके हैं
बहुत सह लिया, अघटित घटेगा
मैं अब तटस्थ नहीं रह सकता

चूनना ही होगा, एक साथ अब
समर बन चुका, एक आग अब 
पापी चीखे हैं, पाप निकलता 
मैं अब तटस्थ नहीं रह सकता

श्वान टोलियां, सिंह ललकारें 
है रणचंडी पुरजोर दहाङे
जो होंगें दंगें, दंगों से खेलूंगा 
मैं अब तटस्थ नहीं रह सकता

अब कोई तटस्थ नहीं रह सकता
अब कोई तटस्थ नहीं रह सकता


तारीख: 05.06.2017                                    उत्तम दिनोदिया









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