इस जमीं से उस फलक के दरमियां,
बस तेरा एक नाम साचा साइयां...
फिर तेरे लिए क्यों है बेपरवाहियाँ,
जब तू ही लिखता है सबकी कहानियां..
क्यों है भटके नौजवां इस मुल्क के,
खेलते हैं होलियां क्यों खून से ।
दहशतों ने घर किया हर शख्स पे,
और बढ़ता अंधानुकरण हर धर्म में।
है अगर तो मौजूदगी का दे प्रमाण...
दिखा रहमत किसका है तुझे इंतजार।
सब्र की अब हो गई सीमा है पार ...
इसी राह में कि कब आएगा तेरा अवतार।।