साथ जो छुटा प्रिय तुम्हारा
समय ने मुझको क्यों मारा
रूठा रूठा सा लगता है
अब तो मुझको जग ये सारा|
तुम बिन जीवन अब है जीना
दुःख ये मेरा क्या कम था ?
ले गये रंग तुम जीवन के
कोरा कोरा तनमन ये था|
जीवन अब भी सबका जीवित
जीवन मुझको पर वर्जित है
बह गया जीवन अश्रुधार में
नैनों में अश्रु बस संचित हैं|
श्वेत वस्त्र सौगात तुम्हारी
मैंने अब इसको पाया है
नारी हूँ मैं नर की जननी
जग ने हाँ इसे भुलाया है|
खुश होने को दिल है करता
सहम सहम ये फिर डरता है
चाह मेरी जो दिख जाए तो
जग मुझको थू थू करता है|
क्या ही तो अपराध है मेरा
क्या जो मुझसे पाप हुआ?
तुमको मिलता ब्याह दूजा
मेरे लिए अभिशाप हुआ||