ये बादल रीते
बरस गए दिन बीते।
बेअसर गुजरी चाशनी सी बातें
भोली मुस्कानों ने दिल जीते।
कोई लाख क्यों कर गुजरे
जब तकदीर करे तो असर गुजरे।
निभती नही कड़ी जंजीरो में
खुले आसमानो ने गढ़ जीते।
मिले हमे जो नसीब में हो बदा
जमाने के रहम दरकिनार गुजरे।
किश्तियों की औकात दिखी
हौसले समंदर से जब जीते।
इश्क की या इबादत
दोनो ने गज़ब ढाया।
हो गयी जात अपनी खुदाई
एक दूसरे के जब दिल जीते।