आदत

पहले हमें अपने वाक्यों को 
पूरा करने की आदत नहीं थी
लेकिन अब हम...
खैर छोड़िये 
बीती बातों को याद करके 
आजतक किसका भला हो पाया है ? 

पहले,दूसरी ओर की घास हरी और लोग अच्छे लगते थे 
अब घास... 
खैर रहने दीजिये
बीती बातों को याद करके 
आजतक किसका भला हो पाया है ? 

पहले हमारे पास एक टूटा हुआ आईना था
जो न केवल आने वाले खतरों से आगाह करता 
बल्कि दूर तक देखने में भी मदद करता था 
उस शीशे को 
घर के पीछे पड़े कचरे के ढेर में 
फेके अब अरसा हो गया है

अब चीज़ें दूर और लोग भयावह लगते हैं 
अब 
उन लोगों की आँखें 
हमें घसीट कर बांधना चाहती हैं 
उन चीज़ों से 
जो पहले कभी 
हमारे पास हुआ करती थी 

ठहरिये 
हमें सांस लेने में दिक्कत आ रही है 
लोग,
और लोगों की आँखें 
फांसी के फंदे सी मालूम पड़ती है,
जो सज़ा देना चाहती हैं हमें 
उन चीज़ों के लिए 
जिनकी हमने केवल तमन्ना भर की थी 

पहले हमें अपने वाक्यों को 
पूरा करने की आदत नहीं थी 
पर अब हम...
खैर जाने दीजिये 
आप तब भी नहीं समझे थे 
आप अब भी नहीं... 
जाने दीजिये
 


तारीख: 29.06.2017                                    राहुल झा









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है