आज कुछ कह लेने दो,
एक बार फिर जी लेने दो,
न रोको इस सैलाब को,
आज इसे बह लेने दो.
रुका हुआ तेज़ाब है ये,
अब और ठहर ना पायेगा,
रोकूंगा इसको जितना मैं,
उतनी तबाही फैलाएगा.
ये दीवाने की आरजू है,
दिल की भट्टी में तापी,
ज्वाला की तपिश इसमें,
छू के कर देगी राख अभी.
इस जग ने दीवानों को,
हमेशा ही सताया है,
रोका है, टोका है हर पल,
ना माने तो मिटाया है.
उन सब की अरदास को अब,
उस रब ने मिलाया है,
दुनिया को प्यार सिखाने को,
उसने मुझको भिजवाया है.