आओ मिलकर नूतन वर्ष मनाये 

चलती दुनिया है विश्वास पर 
चलो हम भी कुछ आस लगाये, 
कुछ आशा के दीप जलाकर 
छाये अंधकार को दूर भगाये,   
ह्रदय की कुंठाओं से ऊपर उठकर 
आओ मिलकर नूतन वर्ष मनाये |

स्वागत करती कलम ये देखो 
एक नया मुकाम लिखेगी, 
स्वागत में तैयार खड़े हैं सुमन पुष्प 
फिर से स्वपन की दुल्हन सजेगी
नये अयामो के स्वागत में 
आओ मिलकर नूतन वर्ष मनाये |

साल की अंतिम रात्रि ने छालांग लगाया 
फिर से नये संकल्प की सुबह आयी , 
कुछ टूटे, कुछ रूठे एवं कुछ बिखरे को 
साथ संजोने का नव अवसर लायी, 


तारीख: 07.04.2020                                    भवानी प्रसाद लोधी









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