अब मेरी मुहब्बत ज़वां हो रही हैं

अब मेरी मुहब्बत ज़वां हो रही हैं!
ये इशारो इशारो में बयां हो रही हैं!


वो निगाहें मिलाना वो नज़रे उठाना
तेरा शर्मो हया से नज़र फ़ेर जाना
इशारों में हम से जो हाँ हो रही हैं!
अब मेरी मुहब्बत ज़वां हो रही हैं!

वो हँसके तेरा मुझसे दामन छुड़ाना
आ के करीब हम से फ़िर दूर जाना
तेरी मस्त ये अदा जानेजां हो रही हैं!
अब मेरी मुहब्बत ज़वां हो रही हैं!

मैं कहता हूँ सब से तेरा हूँ दीवाना
डरता नहीं अब क्या कहेगा ज़माना
खुदा की खुदाई मेहरबां हो रही हैं!
अब मेरी मुहब्बत ज़वां हो रही हैं!


तारीख: 15.04.2020                                    अनूप









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