कुछ मोहब्बत ऐसी भी होतीं हैं जिनका खुदा के सिवा कोई गवाह नही होता
अगर वो मेरी ज़िन्दगी में ना होती, तो मैं इतना बेपरवाह नहीं होता।
पूरे की ख्वाहिश में ये दिल बहुत कुछ खो देता है
भूल जाता है कि आधा चाँद भी खूबसूरत होता है
इस अधूरी मोहब्बत का जादू भी क्या खूब होता है
दिल इस गुमनाम इश्क-ए-जुनून के लिये हर सज़ा कुबूल करता है
कुछ मोहब्बत एसी भी होतीं हैं जिनका खुदा के सिवा कोई गवाह नही होता
अगर वो मेरी ज़िन्दगी में ना होती, तो मैं इतना बेपरवाह नहीं होता।
तेरे शब्दों में भी तेरी खामोशी सुनाई देती है
इतना कह कर भी जो इतना छुपा लेती हो, उस दर्द की सूरत दिखाई देती है
ना वादे कर ऐसे जिनकी उम्मीद में ये रूह हर पल रोती रहती है
मेरे आँसुओं का बोझ मेरे साथ ये रात भी सहती रहती है
कुछ मोहब्बत ऐसी भी होतीं हैं जिनका खुदा के सिवा कोई गवाह नही होता
अगर वो मेरी ज़िन्दगी में ना होती, तो मैं इतना बेपरवाह नहीं होता।