वाह भैया क्या बात हो गए,अखबार-ए-सरताज हो गए।
कल तक लाला फूलचंद थे,आज हातिम के बाप हो गए।
भिख मंगे पहले आते थे,लाला के मन ना भाते थे,
मैले कुचले थे जो बच्चे,लाला को ना लगते अच्छे।
चौराहे पे कूड़ा पड़ा था,लाला को ना फिक्र पड़ा था,
लाला नाक दबाके चलता,कचड़े से बच बच कर रहता।
पर चुनाव के दिन जब आते,लाला को कचड़े मन भाते,
ले कुदाल हाथों में झाड़ू ,जर्नलिस्ट को करता हालू।
फ़ोटो खूब खिचाता है,लाला सबपे छा जाता है,
कि जनपार्टी के खास हो गए,वाह भैया क्या बात हो गए।
अखबार-ए-सरताज हो गए,कल तक लाला फूलचंद थे,
आज हातिम के बाप हो गए, वाह भैया क्या बात हो गए।