अबके आएंगे राम
मजदूर के अवतार में
किसान के अवतार में
निकाले नहीं जाएंगे महलों से
राम त्याग देंगे महलों को
स्थापत्यों में नहीं बसेंगे
उनका शिल्प रचेंगे राम
लेंगे पूरी मजदूरी
तापस वेष विशेष उदासी
फावड़ा, गैंती, रोटी बासी
हाय रे जीवन, लगा ले फांसी
बदल देंगे राम?
अबके राम आएंगे
करेंगे स्वयं अग्नि में प्रवेश
पिघलकर बनेंगे आंसू
और टपकने लगेंगे किसी मजदूर की आंखों से
स्टेशनों पर
स्टैंडों पर
सड़कों पर
उनकी सामूहिक श्वास मेंं राम गूंजेंगे
जननि जन्मभूमिश्च
स्वर्गादपि गरीयसी बनकर
हा ! हा विधि!
कुछ बदलेगा भी?
इन अवतारों में भी
चिरत्रासदी ही तुम्हारी धर्मपत्नि होगी
राम?
राम!