आदमी
हमेशा भागता रहा है
अपने आप से
दौडता रहता है
बेचैनी से
बहुत कुछ पा लेने की
जद्दोजहद में
लॉकडाउन है
बार बार
खुद से टकराता हूँ
घर के भीतर
किसी कमरे में
मन कोसता है
खुद को
कि इस स्थिति के लिए
जिम्मेवार
मैं ही हूँ
दुनिया त्रस्त है
कोरोना के संक्रमण से
और
मैं त्रस्त हूँ
खुद अपने किए पर।