अतीत

जब लहरों से टकराती है कश्ती,
तूफान सब नष्ट कर देता है।

पलभर में खो जाता है सब, 
बस कुछ ही तो बचता है।


यादों की बारात लेकर,
हमें आगे बढ़ना होता है।

इस अथाह में छूट गया जो,
मिलना मुश्किल होता है। 


कुछ कड़वे-मीठे सपने,
गए जो बीत वही अतीत है।

वर्तमान में जी,
जहाँ हर पल सृजन संगीत है।


लय ताल है छंद है,
और बज रहा मृदंग है।

पथ तू संवार देख,
हर कोई तेरे संग है।


तारीख: 03.11.2017                                                        ऋतुल तिवारी






नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है


नीचे पढ़िए इस केटेगरी की और रचनायें