दिन हो बहार के, गुल ऐ गुलाज़ार
हर तरफ खुमार ही खुमार हो
रंज का न कोई मकड़ जाल हो
बस ज़िंदगी खुशहाल हो, बस ज़िंदगी खुशहाल हो
मिटे नफरते समाज से, न दहशत ऐ बवाल हो
चले खुशबुओं की आंधियां,न दिल में कोई मलाल हो
बस ज़िंदगी खुशहाल हो, बस ज़िंदगी खुशहाल हो|
तकरीरें छोड़ सारी,सब इश्क़ से मालामाल हो
फ़ेंक सारे खंजर सब, छुपाये मुट्ठी में गुलाल हों
बस ज़िंदगी खुशहाल हो बस ज़िंदगी खुशहाल हो|
बस ज़िंदगी खुशहाल हो बस ज़िंदगी खुशहाल हो|
हो बस रोटी नमक प्याज की, ना घी की तड़की दाल हो
बस ज़िंदगी खुशहाल हो बस ज़िंदगी खुशहाल हो|
हो हर हीर का रांझां, हर सोनी का महिवाल हो
हर रोज़ हो ईद दिवाली, हर रोज़ नया साल हो
बस ज़िंदगी खुशहाल हो बस ज़िंदगी खुशहाल हो||