चली गईं स्वर कोकिला,सबको रोता छोड़।
देकर इस संसार को, अपना स्वर बेजोड़।।
स्वर साम्राज्ञी आप थीं, भारत रत्न महान।
बनीं लता मंगेशकर, सकल विश्व की तान।।
सुख दुख के हर काल में, तव स्वर थे रसखान।
देते हर मन को सकूँ, जैसे हों वरदान।।
देवी तुमसा है नहीं, गायक कोई और।
गातीं थीं तुम गान जब, स्वर्णिम था वो दौर।।
स्वर की देवी आप थीं, बहता था संगीत।
सरगम बन निकली सदा, दी तव गायन प्रीत।।
दीदी इस संसार में, सदा रहेंगी आप।
गूंजेगे तव गीत जब,गूंजेगी तव धाप।।
हे ईश्वर इन मात को, देना अपना धाम।
इनके जैसा है नहीं, दूजा कोई नाम।।