चुप रहो
सहो
कुछ मत कहो
माँ तूने ही मुझे सिखाया
देख
आज मेरी आशाएं
मारी गई
मेने सहा
मेरे सपने
कुचले गए
मेने कुछ नही कहा
जब मेरे अस्तित्व को
रौंदा गया
मे फिर भी छप थी
और आज
आज में जलाई गयी
मेँ फिर भी चुप हूँ
पर क्या तू कुछ नही बोलेगी
कब बोलेगी माँ
कब बोलेगी ?