बाजू वाली दादी
बड़ी खुशी से पहनती हैं
सफ़ेद साड़ियां
उसने अलविदा कहा है
फिर मिलेंगे कहकर
अपने प्रियतम को ।
सफ़ेद साड़ी और
माथे पर सफ़ेद बाल
वो सजती नहीं है
बस बालों को देखकर
हंसते हुए बोलती है
अब कुछ ही दूर खड़े हैं
तेरे दादा जी ।
वो कहती है
सफ़ेद बाल और
सफ़ेद साड़ियां
एक ही उमर के
दो श्रृंगार हैं।