दादी की सफ़द साड़ी

बाजू वाली दादी
बड़ी खुशी से पहनती हैं 
सफ़ेद साड़ियां 
उसने अलविदा कहा है 
फिर मिलेंगे कहकर 
अपने प्रियतम को ।

सफ़ेद साड़ी और 
माथे पर सफ़ेद बाल
वो सजती नहीं है 
बस बालों को देखकर
हंसते हुए बोलती है
अब कुछ ही दूर खड़े हैं
तेरे दादा जी ।

वो कहती है
सफ़ेद बाल और
सफ़ेद साड़ियां
एक ही उमर के 
दो श्रृंगार हैं।
 


तारीख: 07.03.2024                                    आलोक









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