चलिए लेकिन
देख भाल के!
भ्रमर संग तितली
झूम रही!
पवन को है गंध
चूम रही!!
मछुआरा है
बिना जाल के!
बल खा कर
पुरवाई चलती!
किरणें अंधकार
को छलती!!
सूना है सब
बिना ताल के!
अठखेलियाँ-
हुईं लहरों की!
पगड़ी उछल
रही शहरों की!!
परखच्चे उड़ते
बवाल के!