धड़कता है ये दिल तो इसे धड़कने भी दे
बहकता है ये मन तो इसे बहकने भी दे
मालूम नहीं थम जाए कब ये जिन्दगी
गम के आलम में सही, जरा इसे तड़पने तो दे।
जिसके इश्क की आग तेरे सीने में है
उसे शोले बनकर थोड़ा धधकने तो दे
फिक्र मत कर ए मुसाफिर इस जमाने का तू
अपने इश्क की आग जरा इसे जलने तो दे ।
हो सके तेरी पाक मोहब्बत को ये दुनिया
तेरी महफिल का ग़ज़ल कभी बनने ना दे
पर खुदा से हमेशा एक इबादत तू करना
तुझे नापाक इरादों में कभी भटकने ना दे ।
रोक ना तू अपनी खुशियों को यूँ आने से
इस शैलाब को खुद को डूबने तो दे
मोहब्बत है तेरी ये दिल भी है तेरा
चाहता है गर चहकना तो इसे चहकने भी दे ।