एक लड़की की आवाज़

जीवन के पथ पर,
मुझे भी आगे बढ़ना है |
सच्चे दिल से परिश्रम कर ,
सफलता के शिखर पर चढ़ना है ||

मेरी भी अभिलाषा है,
कि मैं खूब पढूं |
इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों में,
एक नया अध्याय गढ़ूं ||

पर हर वक़्त मेरे सपनों पर,
रहती है किसी न किसी की नज़र |
मैं एक लड़की हूँ,
क्या इसलिए हो जाती है कठिन हर डगर ?

आखिर मैं भी एक इंसान हूँ,
मुझमे क्या कमी है ?
क्यों लोगों के जुबान पर ताने,
और मेरी आँखों में नमी है ?

हर जीवधारी को धरा पर,
जीने का अधिकार है|
हर एक साकार में समाया,
एक वही निराकार है||

मानवता के ठेकेदारों, तुम ये क्यों भूले जाते हो,
औरत यदि सावित्री है तो, औरत ही काली है|
वो हाथ भी हथियार उठा सकते हैं ,
जिनमें चूड़ियाँ और मेहंदी की लाली है||

चाहती हूँ कि मेरी जिंदगी बने वो तराना,
जिसमे मेरी ही साज हो,
हर शब्द ढले हों सुरों में मेरे,
और हर गूँज में मेरी ही आवाज़ हो||


तारीख: 19.06.2017                                    विवेक कुमार सिंह









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है