तेरे दर्द को ,मैं अल्फ़ाज़ तक ला नहीं पाया ,तो मैं इंसान कैसा
तेरे आँखों के आँसू को, लोगो को समझा नहीं पाया तो मैं इंसान कैसा
तेरे दिल कि धड़कनो को, मैं अगर बता नहीं पाया तो मैं इंसान कैसा
तेरे भूखे होने पर भी ,तुझे खाना खिला नहीं पाया तो मैं इंसान कैसा
अधूरे है हम बिना एक दूसरे के, बस यही याद रखना
कभी गलती से भी कोई गलती हो गयी हो तो, बस हमे माफ़ करना
तुझे खुद से दूर न जाने कि फ़रियाद करता रहूंगा ,
तेरा भरोसा इंसानियत पर हमेशा रहे ,उसके लिए कोशिश दिन रात करता रहूंगा II