जब कभी याद तेरी

जब कभी याद तेरी मेरे पागल मन से टकराती है,
एक कविता सी अचानक मेरे दिल पर लिख जाती है। 
यूँ तो तेरी पूरी तस्वीर बसी इस दिल में,
जाने क्यों कलम मेरी तेरी आँखों पर रुक जाती है।

बस तुझी से प्यार करना, ये इस दिल की खता नहीं है। 
तू अपना है या बेगाना है, ये इस पागल को पता नहीं है। 
चार दिन इश्क़ करना, चार ही दिन में भूल जाना,
ये करम भी तो ऊपर वाले का मुझ पर अता नहीं है।


तारीख: 10.06.2017                                                        अर्पित गुप्ता 






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