जरूरी

जरूरी ,
बहुत जरूरी लगता है

जैसे चिड़िया को घोंसले से
चूजे को गिराना जरूरी होता है
मुझे उड़ान से पहले जमीन पर गिरना जरूरी लगता है।

जैसे गमले में उगे पौधे के किनारे 
उगती घास को निकालना जरूरी होता है,
मुझे बासी नियमो का समाज से निकाला जाना जरूरी लगता है।

जैसे नदी के मुहाने पर अटके 
शिलाखण्ड को निकालना जरूरी होता है
मुझे समानता के हिमखंड से बेहतर समभाव का सबतक बहना जरूरी लगता है।

बहुत कुछ होता है एक शब्द में ढका-छिपा, विषामृत भरा
जिसे कहने से पहले कई बार 
मुझे उसका जांचा-उघाड़ा-चबाया जाना जरूरी लगता है।

इसी तरह कविताओं को 
अधूरा-पूरा, उलझा-सुलझा ,स्पष्ट-अस्पष्ट, 
कच्चा-पक्का जानबूझ कर छोड़ देना
मुझे संवेदी अंतर्मन के लिए जरूरी लगता है।


तारीख: 01.03.2024                                    भावना कुकरेती




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