क्या चाहता है वो

इस स्याह काली रात में,
थक के बैठा हूँ मैं।
सोच में इक ही है ख्याल,
क्या है पाया और क्या मैं खो आया।

छोड़ आया क्या उन अपनों को,
या छोड़ आया मोह माया।
था क्या उस जीवन में,
और क्या इस जीवन में आया।

ज़िन्दगी ने लिये इम्तिहान तब,
या अब उसने है सताया।
आदत थी क्या वो बुरी,
चाहा जो अपनों का साथ।
भूल गया क्या श्लोक गीता के,
कि क्या था तू साथ लाया।

फिर क्यों सोच है जो,
घूम जाती है उस ओर।
क्या चाहती है और ज़िन्दगी,
और क्या चाहता है वो।


तारीख: 10.06.2017                                    आकाश जैन









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