क्या क्या बना दिया ?

ज़िंदा रहने का हक़दार बना दिया है,
तुमने मुझे दोस्ती में वफ़ादार बना दिया है।
कभी कभी करीब आते लम्हों में,
पानी की भांति लहरदार बना दिया है।

सोचता हूँ तो खो जाता हूँ ख़्यालो में तुम्हारे,
यादों ने तुम्हारी ख़बरदार बना दिया है।
अब तो आते जाते हवाएँ भी छेड़ जाती है मुझे,
ऐसे मैंने तुम्हारी तस्वीरों को लगातार लगा दिया है।

पहले कहता था की आप खुदगर्ज़ हो गर मोहब्बत में हो,
न जाने क्यों अब दोस्तों की दास्ताँ ने तुम्हारा कर्ज़दार बना दिया है।
है गहनम तो ज़िंदा हूँ मैं,
ऐसा ख़ुदा ने हमारा प्यार बना दिया है।

तुम चुप हो तो सही है, ए मोहब्बत,
तुम्हारी खामोशी ने मुझे समझदार बना दिया है।
कभी ऐसा था की देनदार थे हम,
तेरी आशिक़ी ने इतना तड़पाया की,
हमे फ़क़ीर और लेनदार बना दिया है।

तूने क्या सोचा की समझदार है तू 'गिरी',
उसकी मोहब्बत ने तुझे और भी मक्कार बना दिया है।
बस उसने तुझे जीने का हक़दार बना दिया है,
तुमने मुझे दोस्ती में वफ़ादार बना दिया है।


तारीख: 29.06.2017                                    गिरीश राम आर्य









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