उम्मीदों को पंख जो बांधे मधुरम् वोआगाज है,
प्रबल ध्वनि शंखनाद बजा दे ,मधुरम् वो आवाज है,,
जब कोई मासूम कभी राह अंधेरी चलता है,
मधुरम् दिए की बाती बन उसकी राह में जलता है,,
घना अंधेरा हो कितना ही,अंधकार से लड़ना तय है ,
स्वंय से युद्ध में संग मधुरम् है,तब किसका भय है,,
शोषित को पोषित करना है, निर्बल को सक्षम बनाना है,,
भूखे को निवाला,हर पीठ पर बस्ता, ये मधुरम् ने ठाना है,,
बेशक मंजिल कठिन है लेकिन विजय हमारी होगी,,
भूख, अशिक्षा से लड़ने की मधुरम् की पूर्ण तैयारी होगी,,
मधुरम् का कोई धर्म नही, ये केवल जाति रब की है,,,
मधुरम् के इस पावन हवन में, एक आहुति हम सब की है,,