मैंने सोचा था, वो उसे भूल गया होगा,
वक्त ऐ सैलाब, बहा ले दूर गया होगा !
मयकश कब भूले हैं, मयखानों का पता
बहे यह गंगा उलट, तो कुछ नया होगा !
जख्मों को न हरा कर ,दिल ए नादान
इनको भरने में तूने, एक नश्तर सहा होगा !
वीरान तनहा है आज, यह दिल-ए-सेहरा
रस्मे दुनिया सीख, तेरे साथ कारवां होगा !