वो तू ही तो थी, तू ही तो हैं
जिसने मेरे स्वरूप को बदलते हुए देखा हैं
वो तू ही तो थी हमेशा से पगली
जिसने मेरी खामियों को छुपाया हैं
लड़ती थी, झगड़ती थी हर रोज़ मुझसे
लेकिन प्यार भी तो तूने सारा मुझ पर लुटाया हैं
कभी जो खिलौने अगर कम पड़े खेलने को
तो तूने ही तो हाथ अपना आगे बढ़ाया हैं
वो हस्ते हुए पल भी कितने अजीब थे
जब बे परवाह शाम तक हम खेला करते थे
क्यों आज के भाग दौड़ भरे इस दौर में
मैंने सारे रिश्तों को बदलते हुए पाया हैं
कभी ऐसा भी होगा कि शायद व्यस्त रहूं
और वक़्त न हो इस भाई के पास तेरे लिए
तू प्यारी बहन समझ कर माफ कर देना
कि तेरा पगला गलतियाँ करता ही तो आया हैं
तू यूं ही रहेगी मेरे दिल के करीब हमेशा
शायद जता और बतला न पाऊँ तुझे कभी
लेकिन द्वंद में मैंने अपने अक्स को
अक्सर कई बार तुझमे ही तो पाया हैं
जो कुछ भी हैं आज मेरे पास और मेरा
सब तेरी दुआओं से ही तो मैने कमाया हैं
कि यूं तो तुझे याद करता ही रहता हूं हमेशा
लेकिन आज ना जाने ये दिल क्यों भर आया हैं