मैं प्यार करता हूँ तुझे, मुझको तुझी से प्यार है
तू ही मेरी हर साँस में, तू ही मुझे स्वीकार है
भावनाओं कि तपन जब आग बनती है हवन की
साधना है वो मेरी, तू प्यार का अवतार है
मुझको जुनूं तक प्यार है
तू मेरे तम को मिटाती है सजीली ज्योति बनकर
तू मेरे भ्रम को हटाती है चुभीली उक्ति होकर
मैं हूँ दरिया, तू समुन्दर, है मिलन की आस अन्दर
चाहता हूँ डूबना मैं, तू वोही मझधार है
मुझको जुनूं तक प्यार है
तू है मेरी सोच, मेरी दृष्टि और आवाज़ ‘अविरल’
तू है मेरा ओज, मेरी शक्ति, मेरा रूप निर्मल
मैं सरोवर, तू कमलिनी, मुझमें तेरा बिम्ब हर पल
सदियों से देखता हूँ जो वो स्वप्न तू साकार है
मुझको जुनूं तक प्यार है
तू मेरे होठों पे आई है रसीला छंद बनकर
तू मेरी आँखों में उतरी, आंसुओं का द्वंद्व होकर
जिंदगी, जो प्यार के इस पार है, जी ली मैंने
अब इंतज़ार-ए-मौत है, जो प्यार के उस पार है
मुझको जुनूं तक प्यार है
जन्म लेना है अकेले, बाद में सम्बन्ध होंगे
कौन किसके साथ होगा, तय है सब अनुबंध होंगे
सत्य तो है ये मगर इक और भी है सत्यता
कि तूलिका है जिसके हाथ में वो चित्रकार है
मुझको जुनूं तक प्यार है