नयन की ये नमित कोरें करती इशारा

मैं अभागन तेरी जोगन,
प्रेम धुन में कब से मगन

विरह में पल पल मैं हूँ तरसी,
अब्र बनकर आँखे मेरी खूब बरसी,

लड़खडाती गिर ना जाउँ,
बाँहो का अपनी दे दे सहारा

नयन की ये नमित कोरें करती इशारा
ढ़लती सी साँझ की दीर्घ होती छाँव हूँ मैं ,

लहरों की चोट खाती, डूबती सी नाव हूँ मैं।
पतवार मेरी तेरे आसरे तुझसा नहीं कोई प्यारा मेरा,

तू ही माझी मुझको अब तो दिखला किनार।
नयन की ये नमित कोरें करती इशारा

तेरे दम पर बिंदिया चमके,
तेरे दम पर कंगना खनके।

क्यों ना आया अब तलक तू
खड़ी हूँ कब से देहरी पर सजके।

तू ही मेरे जीने का जरिया, मैं हूँ प्यासी तू है दरिया।
भार लगताजीवन मेरा, बिन तेरे करना गुजारा,

नयन की ये नमित कोरें करती इशारा।


तारीख: 22.09.2017                                                         मनोज कुमार सामरिया -मनु






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