फूल

फूल आकर्षित करते 
मन को 
फूल खिलते है सब जगहों पर 
चाहे दल -दल 
चाहे हो मरुस्थल 
फूल में श्रद्धा बसती 
और रचते है रंग 
सुगंध का परचम 
फहराते हवाओं में 
सुंदर महकते फूल 

काफूर हो जाती 
खुशियाँ 
जब घुल जाता है 
हवाओं में विष -प्रदूषण 
छीन लेता हवाओं से 
खुश्बू 
बन के आतंक वादी 

रोते - बिलखते
कीट -पतंगे 
हो जाते  बेसहारा 
बिन सुगंध ,बिन मकरंध 


तारीख: 29.06.2017                                    संजय वर्मा "दर्ष्टि "









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