ये सात जनम के रिश्तो की
बाते तो कब से सुनती थी
पर तुमसे मिल के ज्ञात हुआ
क्यो मीरा श्याम पे मरती थी
यूँ पल भर मे मिलते ही
कैसे मुझको पहचान लिया
बिन शब्दो के मेरे मुख से
दुख मेरे तुमने जान लिया
सब कहते थे नादान हूँ मै
दिल के गम से अनजान हूँ मै
फिर क्यो दो नैन रोते है
जब तुमसे जुदा ये होते है
चुटकी भर सिन्दूर से क्या
रूहो का मिलन हो जाता है
तुमसे मिल के तो लगता है
ये जनम जनम का नाता है
पलको के बंद होते भी
तू सोच मेरी तू मेरा ख्वाब
जाने क्यो कब और कैसे हुआ
अरदास मेरी तू मेरी दुआ
तू इस दिल का है नाम पिया
तू सुबह मेरी तू शाम पिया
देखूँ जो हल इस जीवन का
बस तू मिले बस तू ही पिया