प्रेम की परिभाषा

प्रेम क्या है ??

प्रेम है,
धूप में तपते के लिए छाँव की तरह,
जीतने वाले की हर एक दाँव की तरह ।

प्रेम है,
युद्ध में एक योद्धा की तलवार की तरह,
मंझधार में फंसी नाव की पतवार की तरह ।

प्रेम है,
संगीत प्रेमियों के इक साज़ की तरह,
दिल में दबे हुए हर एक राज़ की तरह ।

प्रेम है,
जीवन की उमंग और उल्लास की तरह,
मुरझाई हुई आँखों की इक प्यास की तरह ।

प्रेम है,
थके मांदे पथिक के विश्राम की तरह,
माता-पिता के चरणों में प्रणाम की तरह ।

प्रेम है,
बिना लाभ-हानि के व्यापार की तरह,
निःस्वार्थ आत्मा की पुकार की तरह ।

प्रेम है,
दुल्हन के लिए डोली और कहार की तरह,
दो दिलों में सिमटे एक संसार की तरह ।।


तारीख: 10.06.2017                                    राकेश “कमल”









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