समय है रेत सा फिसलता हुआ

कल की सोचते है हम आज,
जो कल आने वाला है ;
नहीं पता ये राहें जायेंगी कहाँ,
कौन सी सौगात ये लाने वाला है...|

माना बीता कल है इन आँखों में,
हर क्षण हर पल है इन साँसो में ;
यादें सुनहरी सी हैं इनमे,
इन बीतें लम्हों के दामन में...|

आज की ही है सब बिसात,
इससे ही आदि और अंत ;
कर्मों का समर इसमे निहित,
जीवन के इसमे राग अनंत...|

समय है रेत सा फिसलता हुआ,
रोज़ आज कल मे बदलता हुआ ;
आज की सोचना तुम जीना आज में,
जीवन की रसधार भी बहती है आज़ में...|


तारीख: 15.06.2017                                    रवि शंकर









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