चंद लम्हे याद हैं , चाँद लम्हों की थी वो ख़ुशी I
चाँद - सा चेहरा था जिसका , चांदनी सी थी हंसी II
वक्त के भयानक बादलों ने था ,उसको छिपा लिया I
खोया था मैंने जिसे उसे , बादलों ने था पा लिया II
उन बादलों का रंग काला हुआ उस दर्द से I
बादलों पर था न असर , पाला पड़ा बेदर्द से II
उन बादलों से जो बूँदें निकलती नीर की I
वो बूँद कहती हैं , कहानी किसी के पीर की II
उस बूँद के सामने सिन्धु भी उथला हुआ I
वो बूँद थी कोई प्यार की, या था शीशा कोई पिघला हुआ II