स्मृतियाँ सुनहरे पलो की आपके संग

न बचपन संग गुजारा, न रिश्ता खून का हमारा, 
न स्कूल-कालेज के मस्ती भरे दिनों में, रहा साथ मेरा तुम्हारा,

स्वर और सुरों की मिठास लिये, आगमन हुआ नव-प्रागंण में तुम्हारा, 
छोटी-2 बातों में खुशियां तलाशना, पसंद आया जीने का ये अंदाज तुम्हारा, 

अपनत्व आँखों में-चेहरे पर मुस्कराहट, बस गया दिल में यह रूप तुम्हारा,
तुम्हारे स्नेह और दुलार की वर्षा से, नेह भीगे-भीग रहा मन हमारा, 

अजनबी बन के आये थे, जुड़ गया तुमसे रिश्ता प्यारा-प्यारा 
विदा हो रहे आज हमसे, नई राहें कर रही स्वागत तुम्हारा


तारीख: 20.06.2017                                    भारती जैन









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