उँगलियों में,उलटते - पलटते ,
काग़ज़ के इन पुर्ज़ों में,
सिमटी है, तेरी यादें
कितनी ही .. पुरानी सी...
किताबो में, जो रखे थे,
सूखे से कई पत्ते,
बताते है तेरी बातें
जैसे कोई .. एक कहानी सी ...
वो छुप कर के हथेली पे
वो लिख लेना तुम्हारा नाम
वो खुश होना, यूँ शर्मा कर
कैसी अल्हड सी जवानी थी ....
पुरानी सी वो तस्वीरें
जो देखू सूनी आँखों से..
कर जाती है यादें वो
पलकों को ...... भीनी भीनी सी ....