मेरी बंद आखों से
आज भी वो अक्सर नज़र आते है
पर बेखबर हैं वो तो
उन्हें मेरे दर्द कहाँ नजर आते हैं
कल ही बिछड़े हैं हम उनसे पर वो तो
वर्षो से बिछड़े पन का एहसास दिलाते हैं
थे बड़े अरमान कुछ उनके साथ
पर अरमानो का क्या, वो तो
मेरे अक्सर ही टूट जाते हैं
आज भी तम्मना है बस
उनकी एक दफा दीदार करने की
मगर यहाँ तो काँटे ही बिछे हैं जिंदगी में
पर सुना है काँटों में भी फूल उग आया करते हैं
मेरी बंद आखों से
आज भी वो अक्सर नज़र आते है
पर बेखबर हैं वो तो
उन्हें मेरे दर्द कहाँ नजर आते हैं