ये रिश्ते

रिश्तों का लिबास पहन, जन्म लेते हैं,
रिश्तों की अंगुली थाम,  बड़े होते हैं,
दिलों के गठबंधन से, रिश्तों को नई पहचान देते हैं,
सांसों का बंधन तोड़, एक दिन रिश्तों से विदा लेते हैं हम ।

कुछ बंधन बाँध लेते है, कुछ रिश्ते छू लेते है मन, 
दिल की गहराईयों में बसकर कुछ रिश्ते, रहते है चिर-यौवन, 
कुछ रिश्ते गहरे पैठते है दिल, आँखों का सुरूर बन, 
कुछ रिश्ते गुनगुनाते है खामोशियों की जुबान बन, 
कुछ रिश्ते गुदगुदाते है चेहरे की मुस्कान बन ।

स्नेह, प्रेम और विश्वास से भरे ये रिश्ते 
चटक जाते है नाजुक प्रहार से ये रिश्ते, 
न ढल पाते है उन्हीं सांचों में फिर, 
लाख जतन न मनुहार से ये रिश्ते ।
 


तारीख: 15.06.2017                                    भारती जैन









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