बिछड़कर तुझसे मैं फिर से वही आँगन नही पाया

"बिछड़कर तुझसे मैं फिर से वही आँगन नही पाया । 
गुज़रते ही रहे मौसम वही सावन नही पाया ।। 
मेरे होकर भी सब लेकिन मेरे वो हो नही पाये ; 
तुम्हारे बाद देखो मैं किसीका बन नही पाया ।।1

"कहीं बेचैन है रातें कहीं ऑखों में पानी है ।
कहीं भी जाके देखो तुम यही दिल की कहानी है।। 
कहानी एक ही है फर्क होता है तो बस इतना , 
कहीं दिल ने न माना है कहीं दिल की न मानी है ।। 


तारीख: 18.06.2017                                     देव मणि मिश्र









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