कुछ मन में था, कुछ दिमाग में,
क्या सही, क्या गलत समझ के पार था ।
मन और दिमाग को कौन समझाए,
फैसला लेना बस में न था ।
मन की आशा, दिमाग का सच कैसे ठुकराए,
एक नतीजे पर कैसे आए ।
रास्ता ढूंढना आसान न था,
न दोस्त था, न यार था,
नतीजा चुननें कोई साथ न था ।।