समेट लो दामन मे खुशियाँ सभी,
क्या पता कौन सा झोंका अपने साथ चिंगारी ले आये।।।
*****************************
वो क्या समेटेंगे मोहब्बत हमारी
जिन्हें हमारी यादें समेटने में अर्सा गुज़र गया।।
*****************************
अजीब फैसले है दुनिया के भी,
जिनके लिए लिखता हूँ उन्हें पसंद नहीं आता
और कुछ ऐसे भी है जो न लिखो तो नाराज़ हो जाते हैं।।
*****************************
कब्र के ऊपर लिख देना मेरे ये अलफ़ाज़....
कोई देख ले हाल अब मेरा भी आकर,
मुद्दत हो गयी अकेले सोते हुए।
*****************************
फैला लिया है दायरा इतना हमने ही अपनी ख्वाहिशों का
क़ि अब ज़रूरतें भी याद नहीं रहती।।।
*****************************
आज फिर गुज़रे हैं उन राहों से जिनसे गुज़रे थे थाम के तेरा हाथ,
फ़र्क़ बस इतना है कल था तेरा साथ और आज बस तेरी याद।।
*****************************
मोहब्बत का खेल फिर से खेलने का मन हुआ है,
लगता है ज़िन्दगी फिर से हारना चाहती है।।
चलो.....
कम से कम ग़मों को तो लोगों ने छोड़ रक्खा है,
वरना आज कल तो ख़ुशी भी दूसरों को देख के मनानी पड़ती है।।